तीर्थ की चेतना व्यक्तित्व में असम्भव को सम्भव करा सकती है।(रहस्यमयी प्राचीन वैज्ञानिक विधि ) जीवन में बड़े लक्ष्य पूरे करने के लिए जिस संकल्प शक्ति की आवश्यकता होती है, वह जब भीतर एकत्रित नहीं हो पाती तो मनुष्य का जीवन अधूरे रूप में बीतता चला जाता है। तीर्थ की सूक्ष्म चेतना शक्ति तुम्हारे भीतर बहुत बड़े स्तर की अव्यवस्था को, अस्पष्टता को, अस्थिरता को समाप्त करने में बहुत बड़ी ऊर्जा शक्ति प्रदान करती है। अगर मनुष्य ठीक तरीके से तीर्थ की चेतना को आत्म सात कर सके तो यह परिवर्तन तत्काल होने आरम्भ हो जाते हैं। हमारे ऋषियों ने तीर्थ यात्रा पर बहुत अधिक बल दिया है। क्या तीर्थाटन कोई पुण्य प्राप्ति का साधन है यां फिर कोई अत्यंत गहरा वैज्ञानिक रहस्य जिसे हम जानते ही नहीं हैं। हाँ यह सत्य है की तीर्थ यात्रा एक अत्यंत गहरा वैज्ञानिक रहस्य है जो मनुष्य के व्यक्तित्व में असंभव को संभव करा सकता है। अनदेखे जगत की शक्तियों का किस प्रकार प्रयोग करते हुए मनुष्य अपने जीवन में परिवर्तन उत्पन्न करा सकता है; यह उसी विद्या की एक अत्यंत महत्वपूर्ण युक्ति है।

समस्या एक ही है की तीर्थों में तो हम सभी प्राय जातें हैं परन्तु इस रहस्य का बोध न होने के कारण हम अछूते और अधूरे ही वापस लौट आते हैं। एक बार इस सत्य का बोध आपको अगर हो गया तो जान लीजिये की अगली बार अपनी अगली तीर्थ यात्रा से आप इतना कुछ बटोर कर लाएंगे की जीवन धन्य अनुभव करने लगेगा। आइए इस गहरे सत्य को जान कर हम अगली तीर्थ यात्रा के विषय में अपनी पूरी योजना बना डालें।

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