बहुत कठिन होता है अपने जीवन के उद्देश्य का निर्धारण कर पाना। जहाँ हज़ारों विचार घड़ी मस्तिष्क में घुस कर हमें अपनी ओर खीचने में रस्सा कशी कर रहें हो वहां उपयुक्त और उचित निर्धारण कर पाना बहुत ही टेढ़ी खीर बन जाता है। सोचने बैठो तो कुछ समझ ही नहीं आता है। यह विषय न तो रोज रोज दिमाग में उभरतें है और न ही इनके विषय में हर किसी से चर्चा करना भी संभव होता है।

यह बात भी उतनी ही गंभीरता से स्वीकारनी होगी की जब तक जीवन में सार्थक उद्देश्य निर्धारित न हो और उसकी तरफ पूरी तन्मयता के साथ आगे न बड़ा जाय तो जीवन में दिन तो अवश्य व्यतीत होते ही रहेंगे परन्तु सभी कुछ करते हुए एटीएम संतोष प्राप्त नहीं हो पायेगा। एक अधूरेपन के साथ जीवन पूर्ण हो चलेगा।

कैसे अपने जीवन के उद्देश्य का निर्धारण करें और ऐसी रण नीति बने की हमारा ध्यान , समय और ऊर्जा प्रति पल उसी तरफ आगे की ओर बढ़ता रहे। इस विषय पर अत्यंत महत्वपूर्ण प्रकाश इस पुस्तक में देने का प्रयास किया गया है। यह ज्ञान अभी तक अनेकों का मार्ग दर्शन कर चुका है और अनेकों इसके प्रकाश से लाभान्वित होकर जीवन में सुख और आनंद की अनुभूति प्राप्त कर चुके है।

-- दिनेश कुमार

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