एक बात आपको गहराई से जान लेनी चाहिए की अगर प्रायश्चित का विषय हमारे भविष्य के घटना क्रमों से जुड़ा नहीं होता तो उसे हम कभी भी नहीं उठाते। और दूसरी बात यह की अगर इसका सम्बन्ध हमारे जीवन की सफलता असफलता से लेना देना नहीं होता तो भी हम इस विषय को नहीं उठाते। तीसरे यह की अगर प्रायश्चित का लेना हमारी पर्सनालिटी से नहीं होता तो भी हम उसे नहीं उठाते। यह विषय मनुष्य के वास्तविक हितों तक किस गहराई तक जा कर गुँथा है इसका अनुमान सामान्यता लोगो को नहीं है।

प्रायश्चित केवल एक अपनी बुराई पर किया गया पश्चाताप मात्र नहीं है. यह वह प्रक्रिया जिसके द्वारा आंतरिक वायरस पूरी तरह से स्कैन करते हुए जड़ मूल से उखाड़ कर बाहर फ़ेंक दिए जाते हैं। आईये इस विषय के मर्म को जान कर हम वह सारे अनजाने कारणों को समाप्त कर डालें जो रह रह कर हमे हमारे जीवन सफलताओं से दूर बनाये रहते हैं। अपनी असफलताओं के अज्ञात कारणों से मुक्ति चाहते हो तो इस विषय को अवश्य जान लो तुम्हारा भला होगा।

-- दिनेश कुमार

 

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