काश भगवद गीता के रहस्य सामान्य व्यक्ति के समक्ष खुले होते तो कभी का यह ज्ञान हो जाता की यह धार्मिक ग्रंथ से कहीं अधिक क्षमताओं के निर्माण का मैन्युअल है। यह बात पूरी स्थापना के साथ कही जा सकती है गीता के ज्ञान का सन्दर्भ सबसे अधिक उन लोगों के साथ जुड़ता है जिन्हें जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त करनी हैं और चुनोतियों के बीच सफल हो कर ही निकलना है।
श्रीमद भगवद गीता की आज के आधुनिक सन्दर्भ में द्वन्द ग्रस्त व्यवसायी (प्रोफेशनल) मानस के लिए प्रस्तुत एक विवेचना।
यह एक कालहीन ग्रन्थ जिसकी रचना अनजाने काल में योगिओं के मध्य उपस्थित आंतरिक स्फुरणा के रूप में हुई। भगवद गीता काल की सीमाओं से पर है अतः इसके मुख्या पत्र प्रत्येक काल में ठीक उसी प्रकार टटोले जा सकते हैं जैसे कभी रहे होंगे। प्रत्येक द्वन्द ग्रस्त मानस एक अर्जुन ही तो है - प्रत्येक दिया प्रेरणा जो अनेक विषयों पर हमारे आंतरिक द्वन्द का निवारण करती है वह कृष्णा ही तो है। योगिक साइकोलॉजी का यह अद्वितीय ग्रन्थ अकाट्य सत्य और सूत्रों को अपने में समेटे हुए है। ध्यान रहे की श्रीमद भगवद गीता केवल पढ़ने की एक पुस्तक नहीं है। यह मनन का स्त्रोत है। जो इस कलहीन अकाट्य सत्य में से ज्ञान को बटोरना चाहते है उन्हें यह जान लेना चाहिए की श्लोक के भावार्थ पर न्यूनतम पंद्रह दिन का मनन आवश्यक है। गीता का जिज्ञासु इस ग्रन्थ को अपने तकिये के निचे रख कर सोये तो उसका इस ज्ञान से सम्बन्ध और गहराता जायेगा। इसका तात्पर्य यह है की इस ज्ञान की निकटता जिज्ञासु को अपने प्रकाश की परिधि में समेटे रखती है। अभी आपके समक्ष इस ग्रन्थ का प्रथम अध्याय की विवेचना प्रस्तुत है। मन है की इस ग्रन्थ के समस्त 18 अध्यायों की विवेचना की जाये। यह ज्ञान मुझे अनेकों समर्थ ऋषिओं द्वारा रचित पुस्तकों एवं उन्ही की द्वारा दिए गए प्रकाश के द्वारा के द्वारा संभव हुई है!