नाभि क्षेत्र - मणिपुर का क्षेत्र

नाभि क्षेत्र - मणिपुर का क्षेत्र

हालांकि कुण्डलिनी के विषय पर हम नहीं है, न मेरी अपनी जागृत न मैं किसी की कर सकता॥ अपनी ही जागृत नहीं तो किसी अन्य की मैं कहाँ जागृत करूँगा॥ और कौतुक से परे रहकर ही साधनाएँ सफल होती हैं; यह एक रहस्यमयी सूत्र है॥ तुम अगर इसे समझ सको तो समझना कि कौतुक से जितना परे रहो साधनाएँ उतनी ही अधिक प्रचण्ड और सफल होती हैं॥ यह एक बड़ा रहस्यमयी सूत्र है जिसका अपने आप से पालन कराना सहज नहीं होता॥ अपने आप को दूसरों की आँखों में दिखने का एक बड़ा कौतुक होता है जो कई बार बहुत हानि भी कर जाता है॥

मणिपुर क्षेत्र की बात हो रही है॥ मणि जो स्वप्रकाशित है जिसे बाहर से किसी अन्य source of light किसी अन्य स्रोत की आवश्यकता नहीं है जो अपने आप में ही प्रकाशित है॥ मणि होती है अथवा नहीं मैंने तो नहीं देखी पर जैसा हम प्राचीन समय से सुनते आए, यह कोई काल्पनिक नहीं है वस्तुत: है॥ देखी नहीं इसका अर्थ यह नहीं कि नकार दिया जाए॥ समूचा ज्ञान अनदेखे सत्य पर आधारित होकर ही आज तक यहाँ पहुचा है॥ और अब वह जहाँ आगे जा रहा है वे अनदेखे सत्य सम्भवत: कभी दिखेंगे भी नहीं, सम्भवत:; पर सक्रिय हैं॥ अत: हमें विशेष रूप से यह जान लेना चाहिए कि मणि का तात्पर्य है - स्वप्रकाशित, जिसमें बाहर से कोई source of light नहीं है॥ अब स्वप्रकाशित मणि, और पुर अर्थात नगर जहाँ रहा जाता है, तो जहाँ स्वप्रकाशित कोई चीज, उसे पदार्थ नहीं कहो, उसे तत्त्व कहो, अथवा प्राण का पुंज कहो, वह मणिपुर है॥ अर्थात वह ऐसा क्षेत्र है जो बहुत प्रकाशित है उसमें अपने आप में बड़ा प्रकाश है ॥ जिसमें अपने आप में बड़ा प्रकाश है जिसका प्रकाश कभी कम ही नहीं हो सकता, जितना है उतना ही रहेगा, तो वह स्वप्रकाशित मणि, मनुष्य के शरीर और मन, शरीर और मन दोनों को प्रकाशित करती है॥ मन में संकल्प के रूप में, मन का संकल्प यह मणि का क्षेत्र है॥ कहते हैं न मर्यादा पुरुषोत्तम, पौरुष कौन सा? श्रेष्ठतम स्तर का पौरुष॥ जो उत्तम स्तर का पौरुष है उसी को हमारे यहाँ मनुष्य का एक सबसे बड़ा गुण माना गया है इसमें नर-नारी का कोई भेद नहीं है॥ मर्यादा पुरुषोत्तम - पुरुषार्थ, जीवट , संकल्प; ये सब आपस में गुँथे हैं और ये सारे के सारे मणिपुर के क्षेत्र से सम्बन्धित हैं॥ सम्भवत: 'राम' शब्द में 'र' अक्षर, भगवान राम के नाम में र अक्षर सम्भवत: वह जीवट का पुरुषार्थ का ही प्रतीक है॥ और मणिपुर क्षेत्र का जो बीजमन्त्र है वह 'र' ही है॥ सम्भव है यह एक संयोग बैटता हो पुरुषार्थ का, जीवट का, मणिपुर के बीज का, राम के पहले अक्षर र का, सम्भव है यह संयोग है॥ ॐ भूर्भुव: स्व: के भूर् में भी 'र' अक्षर है॥

इस मणिपुर क्षेत्र की केवल स्पन्दन से, जागृति नहीं केवल स्पन्दन से, ध्यान तो इसका फिर कभी कराएँगे॥ 'घेरण्ड संहिता' ईत्यादि जैसे अनेक ग्रन्थों में इसकी साधना के विषय में बताया गया है॥ यहाँ कोई कुण्डलिनी जागरण की बात नहीं हो रही है॥ विशुद्ध रूप से metabolism पाचन क्षमता की बात हो रही है उससे इतर हम नहीं जा रहे॥ अत: उसका एक ध्यान, एक अवधि का ध्यान करने से इसमें अलग से लाभ होता है॥ जैसे ही इस विषय पर ये कक्षाएँ पूर्ण होने लगेंगी तो इसके ध्यान की भी व्यवस्था हम करेंगे॥ यह नाद की भाँति 6 घण्टे का तो नहीं होगा उससे कम अवधि होगी पर जितनी बताई गई है उतनी अवधि के लिए हम करेंगे॥ प्राचीन भारतीय मनीषा के सन्दर्भ से हमारे ग्रन्थों के अनुसार लगभग 2 घण्टे की अवधि बताई गई है॥ तो क्या हम नित्य कर सकते हैं या करेंगे? नहीं, नित्य नहीं करेंगे पर कम से कम सामान्य जीवन जीते हुए हम अपने अध्यात्म के उन स्वर्णिम सूत्रों को जो बिसर गए बिखर से गए थे, अब हाथ आने लगे हैं, उनका कुछ आभास अपनी क्षमताओं में रहते हुए प्राप्त करेंगे॥ कुण्डली जागरण करना हमारा उद्देश्य नहीं है पर हाँ उन तथ्यों और सत्यों का आभास करना, अपने आप को पुष्ट करना, विश्वास दिलाना और लाभ लेना, अपने सामान्य जीवन की दृष्टि लाभ लेना, यह हमारा उद्देश्य अवश्य है॥

इस दृष्टि से 2 घण्टे की साधना भी सभी साधकों को मुक्त रूप से कराई जाएगी॥ उसके लिए कोई enrolment आदि कुछ नहीं होगा॥ जो आएँगे साधना करेंगे साथ में, zoom पर कराएँगे कोई enrolment नहीं, सबको लिंक भेज देंगे monitoring कार्यक्रम के साधकों को, सब आएँगे॥ तो मणिपुर क्षेत्र के प्रति अधिक सजगता को विकसित करना यह हमारा उद्देश्य रहेगा॥ जिसके प्रति सजगता विकसित करने से मनुष्य के भीतर शरीर में उसकी पाचन क्षमता और मन में संकल्प इन दोनों की अभिवृद्धि, जागृति एवं सन्तुलन होता है॥ इस भाव को स्मरण करते हुए कुछ समय के उपरान्त यह साधना भी आप सबको, 2 घण्टे की अवधि जो बताई गई उसे ग्रन्थ के सन्दर्भ से भी ले लेंगे॥ वह हम करेंगे अवश्य करेंगे॥

अत:मणिपुर के इस क्षेत्र के विषय में अभी आने वाले सत्संग में और भी ज्ञान दिया जाएगा॥ पर ध्यान रहे - एक चेतावनी बार-बार हम कुण्डलिनी जागरण नहीं कर रहे॥ न आपके अध्यापक की जागृत है न वह किसी अन्य की करा सकता है॥ इसीलिए किसी प्रकार का कोई आश्वासन उसका नहीं है नहीं है नहीं है, सामान्य पाचन क्षमता जगे, स्थिर हो, सन्तुलित हो और मन में संकल्प जीवट जगे, यह हमारा उद्देश्य है॥

   Copy article link to Share   



Other Articles / अन्य लेख