Part- 2. ऐसे 6 प्राचीन सूत्र सफलता के - विचारों की शक्ति
ट्रांसक्रिप्शन अशोक सत्यमेव अचिंत्य चिंतनम् से बचें तो विचारों की शक्ति के द्वारा, इसकी व्यवस्था के द्वारा लगभग जीवन को भी व्यवस्थित कर पाएँ॥ यह बहुत बड़ी सामर्थ्य है॥ विचारों की शक्ति के विषय में पूर्व में भी कहा गया और अब तो इस पर एक प्रकार का व्यावहारिक प्रशिक्षण ही आरम्भ हो चुका है॥ तत्काल इसी विषय पर उतरते हुए हमारे यहाँ प्राचीन भारतीय मनीषा में 'सुभाषित' सु = अच्छा, भाषित = जो कहा गया, कथन; ॥ अर्थात कुछ ऐसी पंक्तियाँ बड़ी प्रेरक हैं, जो मनुष्य के जीवन को प्रेरणा देती हैं और उसी प्रेरणा में आने वाली एक पंक्ति का उल्लेख आज कर रहे हैं॥ जिसका संदर्भ निश्चित रूप से हमारे विचारों को ही प्रभावित करेगा॥ अब इस सत्संग की सीरीज में जो कुछ भी कहा जाएगा वह विचारों की सामर्थ्य, विचारों की शक्ति को व्यवस्थित करने के लिए होगा॥ कि किस प्रकार विचारों को व्यवस्थित किया जाए॥ और धीरे-धीरे ये सारे वाक्य एक-एक शब्द उसी दिशा में बहेगा॥ भले ही वह भिन्न प्रतीत हो पर वह भिन्न नहीं है, अपितु जिस प्रकार ढलान से सारा जल जहाँ सबसे अधिक ढलान हो वहीं जाता है उसी प्रकार ये कह गए सारे वाक्य उस एक ही ढलान की ओर जा रहे हैं विचारों की शक्ति की ओर, विचारों की व्यवस्था की ओर॥वह 'सुभाषित' कहता है:उद्यम: साहसं धैर्यम्, बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।षडेते यत्र वर्तन्ते , तत्र देव: सहायकृत:॥यह छह सामर्थ्य हैं ये 6 बिंदु हैं, ये जहाँ भी होंगे ये जहाँ भी विद्यमान होंगे, जिस जीव में विद्यमान होंगे वहाँ देव शक्तियों की स्वत: ही सहायता प्राप्त होगी॥ उस जीव के पीठ पीछे से हवा आनी आरम्भ हो जाएगी, वह जीव सफलता प्राप्त करेगा॥ यह सफलता प्राप्ति का एक सूत्र है॥ 1) उद्यम: - उद्यमी होना अर्थात् Entrepreneur, क्या केवल Businessman ही Entrepreneur होता है? नहीं मैंने 10 वर्ष पूर्व भी इस विषय का एक बार उल्लेख किया था कि किस प्रकार 'उद्यम' शब्द, 'Entrepreneur शब्द केवल किसी व्यापारी के लिए प्रयोग नहीं हो सकता, यह तो हर उस स्थान के लिए है जहाँ व्यक्ति स्वप्रेरित है self-motivated कुछ करना चाहता है॥ It can be bureaucratic entrepreneurship, business entrepreneurship, social entrepreneurship, political entrepreneurship, even spiritual entrepreneurship.क्यों नहीं? जहाँ भी उद्यम है वह entrepreneurship है और जहाँ मनुष्य में कुछ करने की हूक है ललक है वह उद्यम है॥2) साहस - साहस का तात्पर्य क्या है? साहस, हम जानते हैं पहला कदम उठाने से जो झिझके नहीं, जो अपने आप को बाँधकर नहीं बैठा रहेगा॥ इसका तात्पर्य यह नहीं है कि बिना सोचे बिना विचारे कूद जाए न॥ सोच विचार भी आवश्यक है पर सोच विचार ही बना रहे और पहला कदम ही न उठे, यह उचित नहीं है॥ एक मर्यादा तक विचार आवश्यक है पर एक सीमा के उपरान्त केवल विचार ही विचार रह जाए तो उसे क्या कहा जाएगा? साहस की कमी है॥ साहस होना चाहिए, किसी नई चुनौती का सामना करने के लिएसाहस भी आवश्यक है॥ कोई नया शुभारम्भ करने के लिए साहस भी आवश्यक है॥ नए लक्ष्य को ओढ़ कर आगे बढ़ने की हूक, भर के आगे चलना साहस है॥ जिस में उद्यम है जिसमें entrepreneurship है, self motivated initiative लेता है और जिसमें साथ ही साथ साहस है॥3) तीसरा धैर्य - जिसमें धैर्य हैम धैर्य अर्थात लगा रहेगा, जुटा रहेगा॥ अंग्रेजी में उसे perseverance भी कहते हैं, अर्थात वह जल्दी हार मानने वाला नहीं है; बस आ गया तो आ गया॥ 'श्रद्धा और सबुरी' शब्द में 'सबुरी' पकड़ लो, यह धैर्य है॥ तीन गुण बताए अभी, क्या-क्या? 1) उद्यम, 2) साहस 3) धैर्य4) चौथा बुद्धि - बुद्धि किसे कहा? बुद्धि ज्ञान का प्रतीक भी है, यहाँ विवेक का भी है॥ विवेक - Right Decision Making नीर क्षीर विवेकी, सभी प्रकार के उपस्थित तथ्यों को समझ में लेकर के निर्णय लेने वाला॥ केवल एक तरफ हो करके नहीं, सभी चीजों को समझ कर के, सभी का आभास करते हुए देश, काल, परिस्थित, परिवेश, स्थिति, अवस्था सब कुछ का भान करते हुए पूर्ण ज्ञान और बोध के साथ कार्य करने वाला, इसे बुद्धि के रूप में संबोधित किया गया॥5) शक्ति - शक्ति है योग्यता, अर्थात् The Ability to do something, to accomplish something. शक्ति अर्थात् क्षमता शक्ति का तात्पर्य सामर्थ्य से है शक्ति का तात्पर्य योग्यता से है; इसे योग्यता मानना॥ कई बार मनुष्य बहुत कुछ करना चाहता है पर उसमें उसे करने की योग्यता नहीं होती है॥ वह सोच लेता है, बहुत कुछ सोच लेता है, मुझमें उद्यम, साहस, धैर्य, सब है पर मेरे पास शक्ति नहीं है Capability नहीं है, तो नहीं कर पाता॥ अत: शक्ति होना भी आवश्यक है॥6) पराक्रम - पराक्रम किसे कहते हैं? जितनी भी कठिनाइयाँ मार्ग में आएँगी, उससे पहले ही ढेर नहीं होना, अपितु कठिनाइयों के सामने आने पर उन से जूझने उनसे पार जाकर के निरन्तर आगे बढ़ते रहने की क्षमता होना, इसे पराक्रम कहते हैं॥ पराक्रम शब्द को अंग्रेजी के किसी एक शब्द में सम्बोधित करना कठिन है॥ इसे हम Endurance नहीं कहेंगे, Endurance धैर्य में आ जाता है॥ पराक्रम को आप इसी प्रकार से समझें - To overcome all kinds of hurdles. जितनी भी बाधाएँ आएँगी, यह मनुष्य जीवन के किसी क्षेत्र में भी हों, उनको पार करते चले जाना, उनसे ठिठकना , रुकना, घबराना नहीं, इसे पराक्रम कहा गया॥ सफलता उसी के कदम चूमती है जिसके पास ये 6 हैं, उसी के साथ देव शक्तियाँ सहायक होकर के चलती हैं॥इसे पुण्य स्मरण कर लो॥ इस पर नोट्स भी लेख के रूप में प्राप्त होंगे आपको॥उद्यम: साहसं धैर्यम्, बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।षडेते यत्र वर्तन्ते, तत्र देव: सहायकृत:॥ये छह जहां होंगे वहाँ तुम्हें सहायता प्राप्त होगी, पीठ पीछे की हवा होगी, हार कर के भी जीत ही सिद्ध होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है॥ यह प्राचीन भारतीय मनीषा का एक 'सुभाषित' है॥ विचारों की शक्ति के विषय पर, विचारों को व्यवस्था देने पर, जिन्होंने विधिवत अध्ययन आरम्भ किया है वह इन 6 को अपने आधार में संजो लें और इन छहों का स्मरण अवश्य करें॥ साधना आवश्यक है, अर्थात जो ध्यान हम करते हैं, आवश्यक है जो मंत्र का जप हम करते हैं, आवश्यक है॥ ध्यान समन्वय देता है, ध्यान आकाश में विद्यमान ब्रह्मांडीय मन से जोड़ता है, हमें जप उपासना प्रचंड ऊर्जा देती है, भीतर के अनेकों दोष भस्मीभूत करती है॥ वहीं इस प्रकार का अध्ययन और मनन हमारे पूरे अंतःकरण को संस्कारित करता है, परिष्कृत करता है, नई दिशा की ओर ठेलता है॥मत भूलो कि 5 आवरणों से बने हो तुम॥ अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनन्दमय कोष, सभी कोषों पर साथ-साथ कार्य करना आवश्यक है॥ ये सारे कार्य एक ही दिशा की ओर ले जाते हैं 'आत्मानो मोक्षार्थ जगत हिताय च'॥ साधक को अपने लिए निरंतर आत्मोत्कर्ष और जगतहिताय च - बड़े बड़े उद्देश्य लेने पड़ेंगे॥ साधक को बड़े से बड़े उद्देश्य ओढ़ने चाहिए, ऐसे बड़े उद्देश्य जिनके द्वारा बड़े स्तर पर कल्याण संभव हो॥ जो साधक अध्यात्म में डूब गया, वह साधक केवल छुटपुट उद्देश्य तक सीमित नहीं॥ जिसे अब अपने से ऊपर उठकर सोचना है उसके लिए अब छोटा स्केल नहीं, छोटी कैनवस नहीं, छोटी स्क्रीन नहीं, उसके लिए सब कुछ बड़ा हो गया॥ गगन जिसका कैनवस, जिसकी स्क्रीन बन गया उसके उद्देश्य भी बड़े होंगे और बड़े उद्देश्य वाले को अपने मनोमय कोष को व्यवस्थित करना है॥ जब विचारों की बात आए बाबू, तो मनोमय कोष की बात हो रही है॥ विचारों को व्यवस्थित करना मनोमय कोष को परिष्कृत और विकसित करना है॥ तो जब विचारों की सामर्थ्य की बात हो रही हो तो केवल यहाँ तक मत ठहर जाना था कि Its only about thoughts; No we proceeding towards out subtle dimension. इसी के सामर्थ्य के द्वारा मनुष्य सुनियोजित रूप से in a well organised, in a planned manner, बड़े-बड़े आदर्श और बड़े-बड़े उद्देश्य; आदर्श वे जो एक प्रकार के प्रकाश स्तम्भ हैं like a beacon; प्रकाश स्तंभ हैं like a Lighthouse जो मार्गदर्शन देते हैं॥ प्रकाश-स्तम्भ के साथ-साथ बड़े से बड़े उद्देश्य चाहिए॥ यह विचारों की सामर्थ्य, विचारों की व्यवस्था से आएगा॥आज का पाठ ध्यान रखना॥ ये 6 जिसके पास है वह सफल है॥ ये छहों मनोमय कोष से सम्बन्धित है, ये 6 विचारों से संबंधित हैं उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति, पराक्रम - ये छहों हमारे पास होने आवश्यक हैं॥ इन छहों के लिए अब हम आने वाले दिनों में एक-एक करके काम करेंगे॥ ये 6 आधार हैं, इन 6 को पाना है हमें और इन्हीं को पाने के लिए, मनोमय परिष्कृत विकसित करने के लिए अब आने वाले दिनों में एक-एक पाठ पढ़कर निरंतर आगे बढ़ते चलेंगे॥ एक-एक मोती है जो नोट्स और लेख के रूप में प्राप्त होगा॥ उसे संजोते रहना, उस पर निरंतर अध्ययन और मनन चलाते रहना॥ यह तुम्हारे इस सिलेबस का एक-एक चैप्टर है जो बहुत महत्वपूर्ण है बेटा॥ विशेष रूप से सभी साधकों के लिए, युवा शक्ति के लिए तो अवश्य है, पर साधकों के लिए भी परम आवश्यक होने वाला है॥खुलने दो कमल की पंखुड़ियाँ, देखते हैं सहस्त्रदल कहाँ किस ओर लेकर जाएगा; जहाँ भी लेकर जाएगा कल्याण ही कल्याण होगा॥
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