Part - 11. उस एक कमी को पहचानों जो तूफान की भांति जीवन की नाव को हाँक ले जाती

Part - 11. उस एक कमी को पहचानों जो तूफान की भांति जीवन की नाव को हाँक ले जाती

जब इस महान श्लोक को "व्यवस्थित चिंतन विचारों की शक्ति का आधार है" हेतु एक युक्ति स्वरूप में हम उपयोग करना आरम्भ करें॥ धृतराष्ट्र से छीनकर हम अपने आत्म परिष्कार आत्म उत्कर्ष हेतु for inner growth हम इस प्रकार प्रयोग करें कि:

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवा: मामका पाण्डवाश्चैव किम कुर्वत संजय:

तो प्रतिदिन स्तर पर एक जीवनदिन का निष्कर्ष हमारे समक्ष उपस्थित होना आरम्भ हो जाएगा॥ यह सत्य है मेरे सहित पृथ्वी पर अधिकांश, गिने-चुने छोड़ दो, उनके भीतर कौरव किसी न किसी अंश में बाजी मारते ही हैं॥ अगर सभी मोर्चों पर नहीं तो कुछ मोर्चों पर तो कौरवों के हाथ बाजी लग ही जाती है॥ मोर्चा आहार का हो, विहार का हो, विचार का हो, अर्थ का हो, व्यवहार का हो, समय का हो, किसी न किसी मोर्चे पर बाजी कौरवों के हाथ पड़ जाती है॥ आत्ममूल्यांकन की इस पूरी तकनीक, पूरी युक्ति में जब यह प्रश्न हमारे भीतर उपस्थित हो रहा हो, तब यह तो स्पष्ट हो जाएगा कि बाजी आज कौन मार गए॥ क्योंकि दिन का प्रसंग बताएगा कि आज यहाँ बाजी मार गए॥ आज सारी बाजी कौरवों के हाथ, धर्मक्षेत्र आज अछूता रह गया, आज कुरु के क्षेत्र में कर्म के क्षेत्र में जिस धर्म का निर्वहन होना था, धर्म अर्थात the most important assignments; important अब किसे मानते हो, इसे अब पढ़ाने की मुझे आवश्यकता नहीं है॥ क्योंकि तुम एक साधक हो और ब्रह्म मुहुर्त्त में सुबह साढ़े तीन बजे उठकर मेरे साथ 4 बजे ध्यान पर बैठते हो॥ तो मुझे अब यह बताने की आवश्यकता नहीं रही कि जीवन के महत्त्वपूर्ण क्या है, यह तुम जान चुके हो॥ किसी न किसी अंश में तुम्हें भले ही स्पष्ट नहीं पर बोध हो गया है॥ अत: यह पाठ पढ़ाने की मैं चेष्टा भी नहीं करूँगा॥ पर हाँ तुम्हें बोध हो जाएगा कि आज की बाजी किसके हाथ लगी॥

अब जो सबसे बड़ा कार्य करना है जिसे गम्भीरता से जानना॥ अब मैं यह व्यास की दी हुई युक्ति दे रहा हूँ ॥ श्रीमद भगवद गीता के अन्तर्गत मानवीय अस्तित्व के उसके सूक्ष्म अस्तित्व के पूरी anatomy है, पूरी संरचना है॥ और उसके सम्पूर्ण उपचार भी उपलब्ध हैं॥ पर यह है कि उन्हें उस स्वरूप में खोलकर के जानना आवश्यक है॥ यह व्यास की युक्ति है जिसे अब तुम जानो॥ जब दिन का मूल्यांकन हो रहा हो, जिसे अब जानने की चेष्टा में तुम लगे हो, कि आज कौरव बाजी किस मोर्चे पर मार गए॥ कौरव बाजी मार गए यह तो पता लग गया पर किस मोर्चे पर?

अनुभव करो कि मोर्चा कौन सा है और क्यों बाजी मार गए? अच्छा मैंने विचार किया आज अमुक-अमुक दिन में कम से कम दस बार कौरव बाजी मार गए, पूरा दिन ही उनके हाथ चला गया॥ आज पाण्डव बेचारे कुछ नहीं कर पाए॥ अच्छा कोई बात नहीं॥ किन मोर्चों पर बाजी मार गए? इन-इन मोर्चों पर बाजी मारी मैंने नाम लिया न आहार का, विहार का, विचार का, अर्थ का, समय का, व्यवहार का, चिंतन का कई मोर्चे हैं॥ किसी न किसी मोर्चे पर बाजी मार गए॥ क्यों मार गए?

कोई एक, एक मुख्य कारण मुझे ढूँढना होगा॥ व्यास कहते हैं कोई एक मुख्य कारण होता है, एक, एक॥ जिस मुख्य कारण के पीछे-पीछे पूरा अस्तित्व entire individuality, personality नहीं कहा मैंने वह तो मुखौटा होता है॥ Individuality अस्तित्व जिसके पीछे-पीछे सम्पूर्ण अस्तित्व इस प्रकार जाता है जैसे तेज आँधी में, तूफान में, छोटी सी नाव, जो पतवार वाली नाव या जिसे हवा से हाँकते हैं उस पर नाव का बस चलता है? नहीं, जिस प्रकार तेज बहने वाले तूफान की हवा पूरी नाव को ठेल कर ले जाती है ठीक उसी प्रकार कोई एक कारण ऐसा होता है जो तुम्हारे पूरे अस्तित्व को एक दिशा में ले जाता है और कौरव बाजी मार ले जाते हैं॥ वह कारण ढूँढना है॥ वह कौन सा कारण है मेरे भीतर that one reason कि मेरा बस ही नहीं चलता॥ बस मैं यूँ ही जैसे तूफान एक नाव को ठेल कर ले जाता है, ऐसे ही ठेल दिया गया॥ जल में जैसे तूफान से नाव ठेली जाती है उसी प्रकार मनुष्य ठेल दिया जाता है॥ कोई एक कमी, हाँ अन्य कमियाँ भी हैं, पर उनका प्रभाव उतना उग्र नहीं कि उसे नियन्त्रण में न लाया जा सके॥ एक बड़े को अगर पकड़ लिया तो छोटे-छोटे तो वैसे ही मर जाएँगे॥ हर जीव में एक कारण ऐसा होता है, व्यास के अनुसार॥ जिसके कारण अन्य कारण भी जन्म ले लेते हैं और अन्य विकार, दुर्बलताएँ जन्म ले लेती हैं, कौरवों का एक कुटुम्ब बन जाता है॥ पर मुख्य तो एक ही था न दुर्योधन और फिर दु:शासन के साथ-साथ अन्य 98; they just followed, just followed, चलने शुरु हो गए पीछे-पीछे॥ रामायण की भाँति मुझे यहाँ विभीषण नहीं दिखता है॥ यहाँ तो सब साथ चल दिए, एक दुर्योधन के पीछे॥ वह एक भीतर का दुर्योधन Identify करना है, कौन सा एक कारण है मेरे भीतर॥ That One, That One. जिसके कारण हर मुझसे, मेरा बस नहीं चलता, वह एक क्या है?

वह मेरे आहार के कारण, विहार, व्यवहार, वाणी, अर्थ, विचार, समय के कारण कहाँ है वह दोष? उस एक को मुझे सबसे पहले Identify करना है जो मुख्य है॥ अगर मैंने उस एक को Identify कर लिया, उस एक की पहचान मैंने कर ली तो मेरे लिए पूरी युक्ति बनाना, पूरी Technique, strategy बनाना नीति बनाना सहज हो जाएगा॥ इसलिए उस एक को मुझे पहचानना है, व्यास कहते हैं सबसे पहले उस एक को पहचानो॥ क्योंकि वह एक ही है जिसके पीछे सब भागने लगते हैं और तुम्हें उस एक को पहचानना है॥ यह काम अपने भीतर की अनुभूति का है॥

अब तुम्हें साथ-साथ नोट्स मिल रहे हैं ब्लॉग पर प्रकाशित हो रहे हैं॥ जिससे तुम प्रतिदिन स्तर पर लिखित सामग्री के साथ भी जुट सको, गुँथ सको॥ और अनुभूति के लिए अपने भीतर उतरना आरम्भ करो॥ आज नवरात्रि पूर्ण हो रही है॥ इसलिए आज से ही अपनी साधना, शाम को सोते समय इस मुख्य पर आधारित करो जो आज मैंने कहा, एक कि पहचान करो, बाकी उसके पीछे-पीछे चलेंगे॥ क्या करेंगे उसके बाद? यह आने वाले सत्संग मे आगे आएगा॥

   Copy article link to Share   



Other Articles / अन्य लेख