अभाव, अज्ञान और अशक्ति में कभी किसी को खुश देखा है

अभाव, अज्ञान और अशक्ति में कभी किसी को खुश देखा है

कभी किसी को अभाव में खुश देखा है, कभी किसी को अशक्ति में प्रसन्न देखा है, और क्या कभी किसी को अज्ञानता में शान्त रहते हुए देखा है? नहीं देखा होगा।

अभाव, अज्ञान और अशक्ति यह तीन ही वह समस्यायें हैं जो मनुष्य को उसके जीवन में परेशान कर सकती हैं। आप मेरी बात पर थोड़ा विचार करके देखना तो आप पाएँगे की मनुष्य को कोई भी चौथी समस्या नहीं होगी। और इन तीनो मुख्य समस्याओं का निदान है विवेकपूर्ण संतुलित पुरुषार्थ।

श्री राम कौन हैं ? वह एक मर्यादित अर्थात संतुलित विवेकी पुरुषार्थ ही तो हैं। जब राम रूपी प्रयास आरम्भ होते हैं तो अभाव , अज्ञान , अशक्ति लम्बे समय तक टिक ही नहीं सकते हैं आप चाहे कितना ही भाग्य को सत्य क्यों न मानते हों। यह जान लीजिये की पूरी रामायण एक ही तथ्य को स्थापित करने में जुटी हुई है और वह यह की मर्यादित विवेकपूर्ण पुरुषार्थ कम से कम साधनों में भी बड़े से बड़े शत्रु अर्थात समस्या को मूल चूल से समाप्त कर सकता है।

दीपावली पर जलाए गए सभी दीपक जिस प्रकाश का उद्घोष करते हैं वह यही तो है कि सूझ बूझ के साथ मर्यादित स्वरूप में अथक प्रयास करो तो बड़ी से बड़ी विषमता में भी सफलता का मार्ग अवश्य ही मिलेगा। तुम्हारी परिस्थितियाँ कितने लम्बे बनवास पर भी तुम्हे क्यों न ले गयी हों पर ध्यान रखना कि सयंम का साथ अर्थात हनुमान का साथ और विवेक पूर्ण मूल्यांकन की विधियों के द्वारा तुम्हारे प्रयास धीरे धीरे कुछ नहीं में कुछ कुछ उत्पन्न करेंगे ही करेंगे।

यही दीपावली का उत्सव है। सीता तो सही सोच का प्रतीक है जिसका हरण हमारी ही अहंकारी बुद्धि कर लेती है और परिणाम यह कि, हम अच्छे खासे बुद्धिमान होते हुए भी साधन सम्पन्न होते हुए भी विफलता का मुँह देखते फिरते हैं। राम और इस दीपावली का मर्म समझो और जो कोई भी तुम्हारी समस्या है उसके प्रति जैसे भी प्रयास तुम करते आ रहे हो उन्हें पुनः दोहराओ और फिर से निष्पक्ष मूल्यांकन करते हुए सुधार करो और मर्यादित रूप में पुनः प्रयास आरम्भ करो। यही वह दीपावली है जिसे वर्ष भर चलना होगा। यही राम की कृपा प्राप्ति का वास्तविक मार्ग भी है। अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।

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