हे महादेव एक अवसर चाहिए आपके कैलाश में,
आपके धाम में, आपके सान्निध्य में कुछ पल व्यतीत करने को मिल जाएं तो उन कुछ पलों की तुलना ब्रह्मा के कल्प के समतुल्य ही जानेंगे। जिस ब्रह्मा की आयु अरबों वर्ष मानी जाती है मैं(यह भक्त) आपके साथ बिताए हुए वह कुछ पल उन अरबों वर्षों के समतुल्य जानूंगा। कैलाश जहां आपके गण इत्यादि आपका जो भी साम्राज्य वहां है मुझे आपके सान्निध्य में केवल कुछ पल बिताने का क्या कभी अवसर मिल पाएगा? यह ना केवल एक विनय है कि मुझे अवसर मिले अपितु उत्सुकता में एक प्रश्न भी है। क्या ऐसा संभव होगा? एक आशा है।
शिव यूँ तो सर्वत्र प्रवाहित हैं। पर भक्ति में भक्त अपने इष्ट के सान्निध्य की याचना और सघन रूप में अनुभव करना चाहते हुए यह विनय प्रस्तुत करता है। वास्तविक रूप में शिव कैलाश तक सीमित नहीं है। शिव, तो सर्वत्र व्याप्त हैं। कैलाश में एक ऊर्जा की सघनता आवश्यक है। पर शिव तो सर्वत्र व्याप्त हैं। पर उनकी व्याप्ति होते हुए भी क्या यह सहज संभव होता है, कि मनुष्य आपाधापी से उठकर उनकी उस उर्जा, उनके अस्तित्व के संपर्क में आ पाए। शिव के लिए तो कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है चूँकि ब्रह्मांड का एक कण भी ऐसा नहीं है जहां शिव नहीं है। और जहां शिव नहीं वह तो कल्पना से भी परे है अर्थात वह स्थान है ही नहीं।
शिव है तो कुछ है नहीं तो कुछ भी नहीं है। पर ऐसे में भी भक्तों की विनती है की आपका कैलाश में सान्निध्य प्राप्त हो जाए और आपकी उपस्थिति का आभास भी प्राप्त हो जाए। और उन कुछ पलों की अन्यथा तुलना बिताए गए अरबों वर्षों के समतुल्य होगी। नहीं तो अरबों वर्ष भी बेकार हुए किसी काम नहीं कहे जा सकते। सामान्यतः कहते हैं न की इतना जीवन तो यूँ ही बेकार गया। माँ जगदम्बा सहित आपके दर्शन चाहिएं महादेव।
ट्रांसक्रिप्शन सुजाता केलकर