नवरात्री का द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी देवी की स्तुति हेतु ज्ञानियों ने रचा है।
माँ पार्वती का ही अवतरण हैं।
श्वेत धोती में कमल के फूलों के आभूषण से सुसज्जित
हाथ में रुद्राक्ष की माला। दूसरे हाथ में कमण्डल है।
नीले रंग से इनकी स्तुति मानी जाती है। गहराई का प्रतिक।
चीनी - शक़्कर इन्हें पूजा में अर्पित करते हैं।
इनकी उपासना से साधक को तप, त्याग, वैराग्य और संयम प्राप्ति होती है। कठिन परिस्थितियों में भी संकल्प पूर्ति हेतु निरंतर आगे बढ़ते रहना।
कुंडली में मंगल के दोष निवारणार्थ इनका जप करते हैं।
शरीर में इनका स्थान स्वाधिष्ठान चक्र है।
सम्बंधित औषधि है ब्राह्मी (Brahmi )
लघु मन्त्र जप हेतु
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
आवाह्न मन्त्र ;
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नवरात्री ध्यान, ब्रह्मचारिणी