नवरात्री पर्व पञ्चमी - देवी ‘स्कन्दमाता’
असीम शक्तियों से सम्पन्न की गोद में स्कन्द अर्थात कार्तिकेय हैं, जिनका अवतरण ब्रह्मा जी से आशीष प्राप्त ताड़कासुर के लिए आवश्यक हो गया था।
माँ स्कन्दमाता की स्तुति से साधक को एक साथ दो देव शक्तियों की कृपा प्राप्ति का विशेष लाभ प्राप्त होता है।
माँ स्कन्दमाता शिशु को गोद में लिए अत्यन्त आक्रामक हैं और साथ ही स्नेह से भरी हैं।
माँ चतुर्भुजी हैं, दो हाथों में कमल और एक हाथ आशीष के लिए है।
माँ के साथ शुभ्र रंग (Grey) जुड़ा है।
माँ से सम्बन्धित औषधि है ‘अलसी’.
माँ का शरीर में स्थान है ‘विशुद्धि चक्र’.
जिनकी कुंडली में बुध का दोष हो उन्हें माँ के मन्त्र का जप करने हेतु ज्ञानी सुझाते हैं
माँ की सकाम उपासना के लाभ हैं ‘शक्ति’ और ‘सामर्थ्य’, माँ की निष्काम उपासना का लाभ है ‘मुक्ति’.
माँ का मन्त्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥