शिवानंद लहरी श्लोक 27
हे भोलेनाथ मैं आपको क्या अर्पित करूं… मैं आपको दे भी क्या सकता हूं?
कुबेर आपकी सेवा में है, आप सोने से बने पर्वत के अधिकार से पूरित हैं । मणि, रत्न आपके पास हैं। कामना पूर्ति करने समस्त दिव्य साधन आपके पास हैं । आप भाव भी करेंगे तो सब आपके समक्ष समर्पित होंगे। मैं आपको दे सकता हूँ ? चलो एक काम करते हैं। आप दोनों के चरणों में अर्थात माँ पार्वती ओर भोलेनाथ आपके शुभ श्री चरणों में मेरे पास देने योग्य अब एक ही चीज बची है और वह है मेरा मन…
मैं अपना मन आप दोनों के चरणों में अर्पित करता हूं। और मेरे पास कुछ नहीं है। आपके पास सब कुछ है जो मेरी कल्पनाओं मे भी नहीं वो आपके पास है।तो मैं क्या दे सकता हूं? मन ही बचा बस, मेरा मन आप दोनोंके चरण कमलों में अर्पित है। इसके अतिरिक्त मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं? मैं और किसी योग्य नहीं..आपके पास सब कुछ है।
सब ऐश्वर्य और वैभव दोनों आपके पास हैं। सूक्ष्म जगत की क्षमताएं और स्थूल जगत की समूचे सम्पदाएँ हैं । शिवानंद लहरी के इस यात्रा में मां पार्वती सहित हमारी यात्रा आगे बढ़ती है। ट्रांसक्रिप्शन सुजाता केलकर द्वारा