नवरात्री तृतीय दिवस “माँ चन्द्रघण्टा”
1.असुरों पर संहार करने हेतु प्रतिपल ततपर। इनकी स्तुति का लाभ निर्भयता असुरों का वध।
2. मस्तक पर अर्ध चन्द्र की भांति घण्टा विराजित जो असुरता की समाप्ति हेतु उद्घोष है।
3. माँ के 3 नेत्र हैं, अस्त्र शस्त्रों से दसभुजी सुससज्जित है।
4. शेर पर विराजमान चण्डिका भी जानी जाती हैं।
5. जिनकी कुण्डली में शुक्र का दोष हो वह इनकी स्तुति करें, ज्ञानी ऐसा बताते हैं।
6. माँ चन्द्रघण्टा से सम्बन्धित रंग ‘सुनहरा।
7. सम्बन्धित औषधि बढ़ चन्द्रिका।
8. खीर का भोग माँ चन्द्रघण्टा को लगाते जहां।
9. शरीर में स्थान मणिपूर चक्र।
10 . लघु मंत्र जप
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः