शिव आनन्द लहरी 2 शिव आनन्द लहरी Copy article link to Share 5 बातें अपना लो तो काम टालने की पुरानी आदत समाप्त (E-Book) Demystifying procedure of a Desire into a formidable force of True Will. (E-Book) Magic Moments, चमत्कारिक पल (E-Book) अनिश्चित मानस से सुनिश्चित जीवन की ओर , एड़ी का दर्द - प्रथम भाग (E-Book) अपना उद्देश्य पट कैसे बुने (E-Book) इच्छा से संकल्प फिर चमत्कार (E-Book) उपयुक्त भाव एक सशक्त उपचार पद्दति है (E-Book) एकाग्रता की चाबी किसके पास (E-Book) तथ्य एवं विधान प्रायश्चित (Combo of 2 E-Books and 2 Audio Books) तीर्थ की चेतना व्यक्तित्व में असम्भव को सम्भव करा सकती है. (रहस्यमयी प्राचीन वैज्ञानिक विधि ) AUDIO BOOK. With Free E-Book निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatkam) For Mobile Ebook & Audio Book प्रायश्चित का तथ्य - तथ्य प्रायश्चित (Audio Book) प्रायश्चित का तथ्य - तथ्य प्रायश्चित (Combo of E-Book + Audio) 25% Less Price प्रायश्चित का तथ्य - तथ्य प्रायश्चित (E-Book) भय से दो दो हाथ (E-Book) विधान प्रायश्चित के (Audio Book) विधान प्रायश्चित के (Combo of E-Book + Audio) 25% Less Price विधान प्रायश्चित के (E-Book) श्रीमद भगवद गीता - द्वितीय अध्याय (E-Book) श्रीमद भगवद गीता - प्रथम अध्याय: एक विवेचना (E-Book) सुषुप्ति योग - निद्रा योग (E-Book) Other Articles / अन्य लेख 18/02/2024न अस्ती बुद्धि अयुक्तस्य न च अयुक्तस्य भावनान अस्ती बुद्धि अयुक्तस्य – असंयम के कारण अगर बुद्धि स्थिर नहीं है, तो निश्चित रूप से वह सूक्ष्म भी नहीं हो सकती। और वह सूक्ष्म नहीं है, तो वह आध्यात्मिक विषयों को भी धारण नहीं कर पाएंगी। जिस मनुष्य में विवेचना की क्षमता नहीं रहेगी,उसकी बुद्धि, नीर -क्षीर विवेकी नहीं हो पायेगी। Read More16/02/2024ह्रदय कि दुर्बलता को त्याग दे अर्जुनRead More15/02/2024सकारात्मक शक्तियां जाग उठीRead More15/01/2023यज्ञोपवीत और गायत्री का सम्बन्धRead More12/01/2023शोर में भी मन स्थिर करने की एक युक्तिRead More06/01/2023सुख और सुविधा का भेद Read More05/01/2023भटकते मन को वैसे जैसे दाना दाना बीन कर लातेRead More04/01/2023तप करना कठिन तो है Read More02/01/2023ब्रह्मानन्दम परमसुखदम में जब आना जाना लगा रहता है। Read More28/12/2022शिवानन्द लहरी श्लोक नंबर 29 Read More27/12/2022शिवानंद लहरी श्लोक 27Read More23/12/2022 ब्रह्मानंदम परम सुखदम से बाहर क्यों Read More22/12/2022शिवांनंद लेहरी श्लोक नंबर 26Read More21/12/2022शिवानन्द लहरी श्लोक - 25Read More19/12/2022Read More17/12/2022शिवानन्द लहरी श्लोक 23Read More16/12/2022"हे तस्कर पते" अर्थात हे चोरों के देवता - शिवानन्द लहरी श्लोक 22Read More15/12/2022शिवानन्द लहरी श्लोक 21Read More14/12/2022शिवानन्द लहरी श्लोक 20 Read More13/12/2022एक साधक ने पूछा साधना ही ईश्वर का परम प्रसाद कैसे है। Read More24/11/2022शिव आनन्द लहरी - 8Read More23/11/2022शिव आनंद लहरी श्लोक - 7Read More22/11/2022शिव आनन्द लहरी 6Read More21/11/2022शिव आनन्द लहरी - 5Read More19/11/2022शिव आनंद लहरी श्लोक - 4Read More18/11/2022शिव आनंद लहरी श्लोक - 3Read More16/11/2022शिव आनन्द लहरी श्लोक 1 Read More27/05/2022"What is the Eligibility of a Spiritual Guru", as I understandRead More18/03/2022आवरण शक्ति का भ्र्म आत्मा का बोध नहीं होने देता , शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श्-26Read More15/03/2022प्रत्येक तत्व का स्वभाव उसी प्रकार आत्मा का भी अपना स्वभाव है, शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श्-24Read More14/03/2022गहरी निद्रा में कहां बचता मन - बुद्धि , शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श्लोक -23Read More12/03/2022जैसे अस्थिर जल पर चन्द्र छितराता , शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श् -22Read More11/03/2022गगन नीला दिखता पर वह नीला है नहीं, शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श् -21Read More10/03/2022सूर्य ही आधार है। शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श् -20Read More09/03/2022एक भ्र्म जैसे बादलों सहित चन्द्र चलता। शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श् -19Read More09/03/2022आत्मा राजा समान हैं इन सभी का। शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श् 18Read More07/03/2022साफ दर्पण में जैसे छवि वैसे शुद्ध बुद्धि में आत्मा का प्रकाश झलकता । शंकराचार्य द्वारा रचित आत्म बोध श् -17Read More06/03/2022Read More06/03/2022Read More05/03/2022आत्मा पर पंचकोषी आवरण जैसे स्फटिक समक्ष नीला कपडा ,आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 15Read More04/03/2022कारण शरीर आत्मा पर अविद्या का प्रथम अनादि आवरण ,आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 14 Read More02/03/2022सूक्ष्म शरीर भोग भोगने का साधन है,आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 13Read More28/02/2022पञ्चभूतों से निर्मित शरीर कर्म बन्धनों के सुख दुःख भोगता है ,आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 12 Read More26/02/2022जल रस हीन रंग हीन है वैसे आत्मा भी उपाधि रहित है, आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 11Read More25/02/2022इन्द्रियों का स्वामी आकाश की भांति स्वरूप से मुक्त है , आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 10 Read More24/02/2022जैसे सोने के बने आभूषण उसी से बनते और उसी में गल जाते , आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 9Read More23/02/2022जैसे पानी में बुलबुले जन्मते, दिखते और विलय होते, आत्म बोध आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्लोक 8Read More22/02/2022चांदी की सीप जैसी चमकती माया। आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित आत्म बोध श्लोक - 7Read More21/02/2022विक्षेप शक्ति और आवरण शक्ति ही माया है। आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित आत्म बोध श्लोक - 6Read More19/02/2022'आत्म बोध' आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित - श्लोक 5 ; https://youtu.be/Je3djvXR5FsRead More18/02/2022जैसे बदल छटने पर सूर्य प्रचंड दिखता है। आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित आत्म बोध श्लोक - 4Read More17/02/2022आत्म बोध ही मोक्ष का साधन बाकि सभी कर्म हैं। आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित आत्म बोध श्लोक - 3Read More16/02/2022आत्म बोध मोक्ष हेतु निर्विकल्प है। आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित आत्म बोध श्लोक - 2Read More15/02/2022आत्म बोध किनके लिए है, प्रथम श्लोकRead More11/02/2022आध्यत्मिक जीव को जब कठिनाइयां आएं तो उसे यह अवश्य जान लेना चाहिए। Read More09/02/2022मैं कौन हूँ, स्वयं से पूछा गया यह प्रश्न महाशक्ति के द्वार खोलता।अहंकार की सात्विक महा शक्ति Part 6Read More08/02/2022हनुमान जी की भांति हमे अपने सत्य स्वरूप का भान कराने की आवश्यकता।अहंकार की सात्विक महा शक्ति Part 5Read More07/02/2022अहंकार की सात्विक महाशक्ति Part - 4Read More06/02/2022भय क्यों इतनीं जल्दी हमारी ऊर्जा चाट जाता है। अहंकार की सात्विक महाशक्ति - भाग 3Read More05/02/2022थोपी गई पहचान व्यक्तिगत अथवा सामूहिक अहंकार पर आघात है। अहंकार की सात्विक महाशक्ति - भाग 2Read More04/02/2022अहंकार की सात्विक महाशक्तिRead More31/01/2022संकल्प शक्ति यूँ विकसित करेंRead More31/01/2022ब्रह्म मुहूर्त ध्यान में अर्जित गहरी शान्ति अद्भुत उत्कर्ष प्रदान कर जाती हैRead More28/01/2022न दिखने वाला जगत दिखने वाले जगत से कई कई कई गुना बड़ा है Read More27/01/2022ब्रह्म मुहूर्त ध्यान आकाशीय मन से प्रेरणा के पल Read More12/01/2022प्राणों का मनःस्थिति पर अधिकारRead More11/01/2022विश्व की वर्तमान विकट स्थितियों का सामना करने में ध्यान का महत्व Read More10/01/2022ध्यान की वह शून्य अर्थात निर्विचार अवस्था कितनी महत्वपूर्ण है ;Read More07/01/2022गिरतों को सँभालते ऋषियों के जीवन Read More06/01/2022साधकों को जीवन की प्रतिकूलताओं पर कैसे मन बनाना होगाRead More05/01/2022देवराहा बाबा सन्देश और भाव अध्यात्म मिथ्या नहीं हैRead More01/01/2022शिव मानस पूजा आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित भाग 5 ;Read More31/12/2021शिवमानस पूजा भाग - 4 आदिगुरू शंकराचार्य जी द्वारा रचित Read More30/12/2021शिव मानस पूजा भाग - 3 के लेख का लिंकRead More29/12/2021शिव मानस पूजा - रचैयता अदि गुरु शंकराचार्य - भाग 2Read More28/12/2021शिव मानस पूजा - रचैयता अदि गुरु शंकराचार्य - भाग 1Read More26/11/2021गहरी शांति चेतना के प्रवाह में सघन सक्रियता हैRead More25/11/2021"साधक का उत्कर्ष है ध्यान में गहरी शांति का अनुभव "Read More24/11/2021आज का लेख ; 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व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधारRead More01/11/2021Part - 27. ज्योतिष की सहायता क्षमताओं का बोध कराएगी ; व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधारRead More30/10/2021Part - 26. आत्म विकास हेतु मनोमय कोष की एक साधना - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधारRead More29/10/2021Part - 25. पांच स्तरीय आत्म उत्कर्ष प्रशिक्षण के आधार - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार Read More28/10/2021Part - 24. आकर्षण विकर्षण अपना ही जादू है - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार Read More27/10/2021Part - 23. 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"अणु की शक्ति संकल्प के स्तर पर अनुभव करके देखो " - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार Read More17/10/2021Part - 13. तप निर्विकल्प मार्ग है जो जिसकी प्रचण्ड अग्नि विकारों को भस्मीभूत कर डालती - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार Read More16/10/2021Part - 12. उस एक पराजित करने वाले को योजना एवं तप शक्ति से पराजित करो ; व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार Read More15/10/2021Part - 11. उस एक कमी को पहचानों जो तूफान की भांति जीवन की नाव को हाँक ले जातीRead More14/10/2021Part - 10. हे संजय आज मेरे और कौरवों के योद्धाओं बीच क्या हुआ ?Read More13/10/2021Part - 9. द्रौपदी प्राण ऊर्जा है, सारा संग्राम उसी निमित्त है - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार हैद्रौपदी पाँचों की पत्नी; मैंने पूर्व में भी कहीं उल्लेख किया था 'यह पति शब्द और पत्नी शब्द को अंग्रेजी में इसका ट्रांसलेशन केवल कर देना पूर्ण अन्याय है॥ Husband & Wife, no. पत्नी और पति शब्द बहुत बड़ा है अगर ऐसे हो तो राष्ट्रपति Husband of a Nation? कुलपति Husband of a University? ऐसा हो सकता है क्या? नहीं॥ तो इसका तात्पर्य यह है कि पति और पत्नी शब्द का मर्म बहुत बड़ा है॥ वह पाँचों की पत्नी है इसका तात्पर्य है कि अंग्रेजी के अनुवाद में आप उसे Wife नहीं कह सकते॥ वह पाँचों का एक Resource है, पाँचों का आधार है, पांचों की प्रेरक है, अगर वही नहीं होगी तो पाँचों किसी काम के नहीं हैं॥ इसीलिए पांचों की साँझी है, उन्हें आप अगर केवल शरीर मानकर मनुष्य मानेंगे तो आप ब्रह्मऋषि के उस विज्ञान के साथ अन्याय करेंगे॥ कहानी अपनी जगह है, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं॥ यही वह द्रौपदी है जिसकी गति बहुत तेज है, द्रु = द्रुत Fast at the speed of light, पद = steps, बहुत तेज गति से चलने वाली बिजली की गति से चलने वाली द्रौपदी - प्राण ऊर्जा ॥ साढ़े तीन कुंडल मारकर भी बैठी है वह, पर प्राण के रूप में उसकी आभा तो पूरे शरीर में बिखरी है॥ उसी प्राण को ही तो कौरव नोचना चाहते हैं, मजा करेंगे, अपने मजे के लिए॥ जबकि होना चाहिए उसे पाण्डवों के पास, क्यों? क्योंकि यदि पंचभूत अभिप्रेरित होते हैं तो एक-एक सूक्ष्म अवस्था में पड़ा हुआ, सुप्त अवस्था में पड़ा हुआ, क्षमताओं का चक्र जागृत होता है॥ कब? जब वह ऊर्जा समस्त रूप से केवल पाण्डवों को उपलब्ध है, कौरव नोच नहीं रहे॥ जब तक कौरव उसे नोचते रहेंगे for their demeaned objectives. Read More12/10/2021Part - 8. अंतःकरण में घटता प्रतिपल कुरुक्षेत्र संग्राम - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार है मेरे भीतर के कौरव भी एकत्र हुए पड़े हैं, इस दिन-प्रतिदिन के संग्राम में, मेरे भीतर के कौरव भी एकत्र हैं, मेरे भीतर के पांडव भी एकत्र हैं केशव सहित; उनमें चल क्या रहा है? यह प्रश्न अब कौन पूछ रहा है? धृतराष्ट्र नहीं, यह प्रश्न अब हम पूछ रहे हैं एक साधक की भाँति अपने आप से, अपने भीतर यह प्रश्न हम उपस्थित कर रहे हैं॥Read More11/10/2021Part - 7. कौरवों का मर्म हमारे भीतर बाहर की अस्थिरता में - व्यवस्थित चिन्तन - विचारों की शक्ति का आधारRead More09/10/2021Part - 6. धर्म क्षेत्रे कुरु क्षेत्र का मर्म क्या है व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार हैRead More08/10/2021Part - 5. अर्जुन के रथ की पताका पर कौन हैं - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार हैधर्मक्षेत्रे - इस सौन्दर्य का वर्णन कल हो चुका कि श्रीमद भगवद गीता संवाद तो केशव और अर्जुन के बीच का है पर धृतराष्ट्र को पहला श्लोक दे दिया गया॥ श्रीमद भगवद गीता की गहराई की ओर एक संकेत किया गया, "इसे केवल उतना न जानना कि एक संग्राम के क्षेत्र में केवल एक प्रेरणा दी जा रही है"; नहीं, यह मात्र प्रेरणा नहीं है, यह कुछ और भी है॥ इस श्लोक पर आधारित इन बातों की ओर ध्यान दिलाने से पूर्व; हमारे इस विषय के अन्तर्गत पुनरावलोकन करें कि व्यवस्थित चिंतन ही विचारों की शक्ति का आधार है॥Read More07/10/2021Part - 4. भगवद गीता के प्रथम श्लोक की अथाह गहराई - व्यवस्थित चिन्तन विचारों की शक्ति का आधार है ;Read More06/10/2021Part - 3. व्यवस्थित चिन्तन से विचारों को शक्ति प्राप्त होती हैRead More05/10/2021Part- 2. ऐसे 6 प्राचीन सूत्र सफलता के - विचारों की शक्तिRead More04/10/2021Part- 1 विचारों को व्यवस्था देने से जीवन में सौंदर्य का अवतरणRead More02/10/2021मेरे अन्तःस्थल का पवित्र क्षेत्र एक प्रयोग बड़ा सफल है, विशेष रूप से जब आप किसी महाचेतना की विशेष धारा से सम्पर्क में आना चाहो, विशेष धारा किसी ब्रह्म ऋषि विशेष, किसी देवशक्ति विशेष, जब इनमें से किसी के सम्पर्क में आना चाहो, अर्थात् इनकी चेतना से लौ लगाने की चेष्टा हो, तो चेष्टा में अन्तर्मुखी होने में जो आरम्भिक कठिनाई है उसमें एक युक्ति बहुत सहायक है॥Read More01/10/2021महाचेतना समर्थ असीम है तुम निर्णय करो कि किस समर्थ से सम्पर्क करना है। Read More30/09/2021अग्नि की साक्षी में एक संकल्प - प्रति वर्ष Read More29/09/2021बड़े उद्देश्य हेतु समझ - सामर्थ्य और अवसर अदृश्य सत्ता के हाथRead More28/09/2021 मन का छल - एक ही मन दो की प्रतीति में उलझा देता हैRead More27/09/2021सजगता पर अधिकार जताना ही होगा Read More25/09/2021संकल्प शक्ति के अभाव में न यहां और न ही वहां कुछ नहीं मिलने वाला है। Read More22/09/2021अभयम - भाव की सामर्थ्य Read More21/09/2021श्राद्ध हेतु हृदय की गहराई से अर्पित भाव तत्काल अनुभूति देता है - पितृ पक्ष - भाव जगत की सामर्थ्यRead More20/09/2021उपयुक्त भाव एक सशक्त उपचार पद्दति है (भाव की सामर्थ्य)Read More18/09/2021'भाव परमाणु है और विचार उसका विस्तार ' भाव की सामर्थ्यRead More17/09/2021'शान्ति और सुख' भाव की सामर्थ्य (आज के सत्संग का लेख) Read More16/09/2021निश्चयात्मिका बुद्धि भाव जगत की कुंजी भाव की सामर्थ्य (आज के सत्संग का लेख) Read More15/09/2021भाव की सामर्थ्य (आज के सत्संग का लेख) भाव की शक्तिRead More14/09/2021भाव की सामर्थ्यRead More27/05/2021पवित्रताRead More07/01/2021नोट्स प्राप्ति हेतु केवल मॉनिटरिंग कार्यक्रम से जुड़े साधक अपना ईमेल प्रदान करें Read More16/12/2020आत्म विश्वास बिना जीवन अधूरा - एक विशेष श्रृंखला आरम्भ हो चुकिध्यान रहे की यह आत्म विश्वास श्रृंख्ला केवल मात्र प्रेरक नहीं अपितु उन प्रभावशाली सुलभ विधियों को बताएगी जिससे आत्म विश्वास विकसित किया जा सके। Read More09/12/2020अनुशासनहीन खपता और केवल भटकता Read More08/12/2020ब्रह्मानन्दम परमसुखदं Read More30/10/2020ब्रह्म ऋषि स्वयं सम्पर्क करते - पात्रता विकसित करोआध्यात्मिक प्रकाश में पात्रता शब्द के बहु आयामी मर्म अर्थात प्रभाव निकलते हैं। पात्रता अर्थात अधिक अंशों में बोध की क्षमता। We become more capacitated, पात्रता अर्थात elligibility. पात्रता का तात्पर्य है अंतःकरण में बोध (Deeper understanding) को जागृत करना। पात्रता का अर्थ है सूक्ष्म शरीर के अवयवों को जागृत करना। Read More29/10/2020कौन किसको भजता है ? सतोगुणी, रजोगुणी, तमोगुणीपूजा का यह विषय है कि कौन - कौन किसको पूजता है और तदनरुप रूप क्या परिणाम प्राप्त करता है। इसमें हमे सूक्षमता के साथ श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाश के विस्तार समझना होगा। ब्रह्म ऋषि कहते हैं कि सतोगुणी देव शक्तियों का आवाहन और उनका पूजन इत्यादि करते हैं,Read More28/10/2020पिछला जन्म कैसा था ?अगला जन्म कैसा होगा ? श्रद्धा से पूछो श्रद्धा का विषय उत्कृष्टता के प्रति बिना शर्त का प्रेम है, इसे विश्वास के साथ भी जोड़ते हैं। विश्वास श्रद्धा का अनुसरण करता है आस्था बनने के लिए अर्थात गहरा विश्वास बनने हेतु। किसी जीव की श्रद्धा क्या है, वह किसे उत्कृष्ट मानता है, यह निर्णय जीव का व्यक्तिगत है। जिन विषयों को जीव उत्कृष्ट मानता है वह उसकी प्राथमिकताओं के विषय होते हैं। वास्तविकता यही है की अपनी प्राथमिकताओं के द्वारा ही संचालित जीव है, यह मनुष्य।Read More24/10/2020नवरात्री नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्री नवमी माँ सिद्धिदात्री Read More23/10/2020नवरात्री अष्टमी दिवस माँ महागौरीनवरात्री अष्टमी दिवस माँ महागौरीRead More22/10/2020नवरात्री सप्तमी दिवस ‘माँ कालरात्रि’ नवरात्री सप्तमी दिवस ‘माँ कालरात्रि’ Read More22/10/2020महत्वपूर्ण जानकारी Read More21/10/2020नवरात्रि छटा दिवस माँ ‘कात्यायनी’नवरात्रि छटा दिवस माँ ‘कात्यायनी’Read More20/10/2020नवरात्री पर्व पञ्चमी - देवी ‘स्कन्दमाता’नवरात्री पर्व पञ्चमी - देवी ‘स्कन्दमाता’Read More19/10/2020नवरात्रि चतुर्थ दिवस माँ कूष्माण्डा नवरात्रि चतुर्थ दिवस माँ कूष्माण्डा Read More18/10/2020नवरात्री तृतीय दिवस “माँ चन्द्रघण्टा” (चण्डिका)नवरात्री तृतीय दिवस “माँ चन्द्रघण्टा” (चण्डिका)Read More17/10/2020नवरात्री का द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी देवीनवरात्री का द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी देवीRead More16/10/2020नवरात्री का प्रथम दिवस "शैलपुत्री"नवरात्री का प्रथम दिवस शैलपुत्री देवी की स्तुति हेतु ज्ञानियों ने रचा है। Read More13/10/2020अगली माँ की कोख जीव इसी जन्म में स्वयं सुनिश्चित करता है। ब्रह्मर्षि कहते हैं मनुष्य सतोगुण की अभिवृद्धि में ही रहते हुए जब मृत्यु को प्राप्त होता है (मृत्यु = मृ + अत्यु , मृ कहते हैं मिट्टी को और अत्यु कहते हैं छलांग लगाने को) मृत्यु शब्द बहुत बड़ा शब्द है। मृत्यु शब्द केवल शारीरिक स्तर पर ही प्रयोग किया जाए, यूं तो इस शब्द के साथ अन्याय हैं।Read More12/10/2020रजोगुण और तमोगुण मुझमें आज ही समाप्त तो - जानोत्रिगुणात्मक प्रकृति का विषय लिखने में कितना सरल है। मनुष्य की प्रकृति को केवल तीन ही तो गुणों में बांट दिया गया। किसी भी विज्ञान की अगर पराकाष्ठा के विषय पर जानना हो तो उसका सिद्धांत एक ही है, कि वह कितने सरल और सहज स्वरूप में जन सामान्य के समक्ष उपस्थित हो गया।Read More11/10/2020जिनमें अब White बढ़ने लगा और Red & Black ढीला पड़ा;ब्रह्मर्षि आदि गुरु मुनि वेदव्यास कहते हैं कि मनुष्य में जब सतोगुण की वृद्धि होती है, अर्थात जैसे-जैसे साधक की वृत्तियाँ - उसका अन्तःकरण प्रकाशित होता जाता है और आत्म परिष्कार के द्वारा उसके भीतर के विकार समाप्त होते जाते हैं। साधक भीतर पूर्व की अपेक्षा अधिक पवित्र और निर्मल होना आरंभ हो जाता है और उसे अपने अनुभव में अर्थात ऐसा साधक की अपनी समूची इंद्रियों की चाहत में एक भिन्नता दिखनी आरंभ हो जाती है।Read More09/10/2020मैं कहता हूँ ध्यान में नींद आए तो मुक्त हो कर सो जाओ साधक एक भ्रम दूर करना आवश्यक है। शास्त्र कहता है की तमोगुण से प्रभावित व्यक्ति प्रमाद, आलस्य और निद्रा के वशीभूत होता है। पुनः जानो की तमोगुण में ग्रसा हुआ जीव प्रमाद, आलस्य और निद्रा में पूरी तरह जकड़ा हुआ होता है अर्थात इन तीनों में फंसा होता है. पर इस अकाट्य सत्य के साथ एक भ्रम भी है, जिसे स्पष्ट करना बड़ा आवश्यक और नितांत आवश्यक है। Read More08/10/2020आध्यात्मिक सफलता चाहने वालो, कुछ रजोगुण मुट्ठी में संभाल कर रक्खो अध्यात्म के पथ पर आने वाले साधक के लिए एक विचित्र सी समस्या उत्पन्न होनी आरंभ हो जाती है। जो कुछ भी अब मैं कहने जा रहा हूं उसका उल्लेख किसी ग्रंथ में नहीं है। जो कुछ भी कहा जाएगा वह मेरे व्यक्तिगत अनुभव से ही कहा जाएगा। किसी ग्रंथ का उल्लेख नहीं। कल के सत्संग के विषय को हम कुछ दिन आगे अब निरंतर आगे बढ़ाएंगेRead More07/10/2020आज! त्रिगुणात्मक प्रकृति पर कुछ कहने का मन बना है।ज! त्रिगुणात्मक प्रकृति पर कुछ कहने का मन बना है। कल किसी साधक ने मुझे मेल के द्वारा पूछा था की जब आप कभी आप किसी इसी ऋषि के नाम का स्मरण करते हैं अथवा किसी ग्रंथ का नाम का स्मरण करते हैं, तो आप उस समय अपने दोनों कानों को क्यों स्पर्श करते हैं। यह क्या है कोई टोटका है? Read More06/10/2020विवेक चूडामणि सूक्ष्म परिचय आदि गुरु शंकराचार्य के प्रति हमारी संततियां सदैव ऋणी रहेंगी, वह नहीं रहे होते तो इस राष्ट्र को चार अकाट्य खूंटों में बांधने वाला आज तक कोई नहीं हुआ है। वह नहीं हुए होते तो महाभारत के एक लाख श्लोकों में श्री मद्भगवद गीता जी के 700 श्लोक दबे रह जाते। वह नहीं हुए होते तो वेदान्त की श्रेष्ठतम रचनाएँ हमे उपलब्ध नहीं हुई होती। Read More05/10/2020विविक्तदेश सेवित्वं एक अकेला कोना और एक तुम तो बात बन जाए श्रीमद्भागवत गीता में एक उल्लेख आया है विविक्तदेशे सेवित्वम । यह उल्लेख श्रीमद भगवद गीता में अन्तर्मुखी होने हेतु निर्देशित किया गया है। पहला शब्द है विविक्त , दूसरा शब्द है देश और सेवित्वम। विविक्त देश, इस शब्द का मर्म आदि गुरु शंकराचार्य जी ने बताया, अपने आप को ऐसे क्षेत्र में उपस्थित करो जहां तुम अकेले हो। Read More04/10/2020सात्विक सेवा भीतर की क्षमताओं के द्वार खोलती है सात्विक सेवक का उल्लेख अध्यात्म जगत में बहुत बड़े स्तर पर आया है। स्वाध्याय सत्संग और सेवा, उपासना साधना और आराधना। आराधना, सेवा उपासना किसकी? उपासना उस ईश्वर की, अपने भीतर अवस्थित उस ईश्वर के तत्व की। और साधना अपनी क्षमताओं के विकास की।Read More03/10/2020अद्भुत स्थिरता शांति की अनुभूति आत्मा की निकटता का परिणाम ध्यान साधना में जब मनुष्य भीतर की सजगता जब अनुभव करने उतरे तो प्राथमिक परिचय एक अद्भुत स्थिरता और शांति से होता है। आनंद तो उसकी फलअश्रुति है पर प्रथम परिचय एक अद्भुत स्थिरता और शांति से ही होता है। साधकों को आज के इस ध्यान में उसका बोध पूर्ण अथवा आंशिक रूप में आपने ध्यान के उत्तरार्ध में यह अनुभव अवश्य किया होगा। Read More02/10/2020साधना में सभी को ‘ म ’ अक्षर पर अधिक केंद्रित क्यों नहीं होना चाहिए। ओम के गुंजन में ‘ म ’ अक्षर का गुंजन सामान्य साधना में करने के लिए वर्जित किया जाता है। इसका मुख्य कारण है कि ‘ म ’ अक्षर से ज्ञानियों के मतानुसार और थोड़े बहुत अनुभव से भी मैं कह सकता हूं वैराग्य की वृद्धि, अनासक्ति की वृत्ति बहुत गति से विकसित होना आरंभ हो जाती है। Read More01/10/2020ईश्वर विश्वास क्यों फलित नहीं होता ?ईश्वर पर विश्वास और उसकी सत्ता पर आश्रित होने के लिए अध्यात्म जगत में बहुत कहा जाता है, पर चाह कर भी व्यक्ति आश्रित हो नहीं पाता है। जीवन की विकट परिस्थितियों को लेकर अनसुलझे प्रश्नों को लेकर मनुष्य में भय - आशंका और चिंता बनी ही रहती है। मैं यहां पर क्रोध के विषय पर कुछ नहीं कहूँगा,Read More30/09/2020दुर्लभ और दुर्गम सत्य 24 सूक्ष्म तरंगों का - गायत्री मन्त्र 24 अक्षर 24 तरंगें और 24 ही सृष्टि के निर्माण एवं संचालन में जुटी शक्तियां। संख्या का महत्व चेतना विज्ञान के महान वैज्ञानिकों के अनुभूत शोध का ही परिणाम है। हम भले ही अपनी सुविधा की दृष्टि से कह डालें की यह महान खोज हमारा प्राचीन भारतीय विज्ञान है, Read More29/09/2020आवश्यक है बुद्धि जो विश्लेषण करें निश्चय करें।श्रीमद्भगवद्गीता के दो श्लोकों की ओर संकेत करते है जिनका अध्याय 3 के अंत में वसुदेव उल्लेख कर गए। शरीर से सूक्ष्म इंद्रिया हैं, मनुष्य की इंद्रियों से ऊपर सूक्ष्म मन है। जो अधिक सूक्ष्म होगा वही अधिक शक्तिशाली होगा। जो जितना सूक्ष्म होगा उसमें उतने ही अंशों में अधिक शक्ति होगी। Read More28/09/2020आदि शंकराचार्य जी के शब्द “आत्म विषय बुद्धि”आज का विषय है “आत्म विषय बुद्धि”, आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस शब्द को हमारी आने वाली अनेक सन्ततियों को इस विशेष शब्द का मर्म समझाते हुए श्रीमद्भगवद्गीता के संदर्भ में बताया है।Read More27/09/2020“अलख निरंजन”, गुरु गोरक्षनाथ जी के यह शब्द हैं“अलख निरंजन”, गुरु गोरक्षनाथ जी के यह शब्द हैं “अलख निरंजन”। यूँ तो लक्ष्य शब्द का अर्थ समझते हो ना, अर्थात उद्देश्य और उसीमें आप ‘अ ‘ जोड़ दो तो अलक्ष्य, अ, ल आधा क्ष और य = अलक्ष्य है। यही शब्द जो अपभ्रंष हो गया Distort हो गया और अलक्ष्य बन गया अलख।Read More26/09/2020गायत्री के जप सहित मौन का तपगायत्री के अनुष्ठान और मौन का भी एक गहरा संबंध है पर उससे पूर्व यह समझना आवश्यक है कि मौन क्या होता है? क्या मौन केवल मुख की चुप्पी है.नहीं साधक, चुप रहना मौन का बाहरी स्वरूप है जबकि वस्तुतः मौन भीतर की संपूर्ण निष्क्रियता हैRead More26/09/2020भाव का बीज बहुत बड़े कार्य कर सकता है।आध्यात्मिक साधना के प्रकाश में मनुष्य में भाव का बीज बहुत बड़े कार्य कर सकता है। भाव का बीज जप और तप की शक्ति को दिशा देने का कार्य कर सकता है।Read More26/09/2020आत्म विश्वास तब तब विकसित होता जब जब मनुष्य संकल्प के बूते अपने पर विजय प्राप्त करता।बाहरी जीवन जीते हुए बड़ी शीघ्रता से मानवी बुद्धि तत्काल निष्कर्षों पर पहुंचना चाहती है, कुछ ही मिनटों अथवा दिनों में परिणाम दिखाई नहीं पड़ते तो बड़े से बड़े सत्य पर सन्देह करने लगती है अन्यथा अपने आप पर ही सन्देह उत्पन्न करने लगता है।Read More26/09/2020साधना की शक्ति अकाट्य है, साधक का समर्पण आवश्यक है।बाहरी जीवन जीते हुए बड़ी शीघ्रता से मानवी बुद्धि तत्काल निष्कर्षों पर पहुंचना चाहती है, कुछ ही मिनटों अथवा दिनों में परिणाम दिखाई नहीं पड़ते तो बड़े से बड़े सत्य पर सन्देह करने लगती है अन्यथा अपने आप पर ही सन्देह उत्पन्न करने लगता है।Read More26/09/2020Is it possible to make money while practicing selfless Actions?While researching upon Sloka no. 3 of Chapter 6 one question kept suspended before my mind and that was... 'Is it possible to make money while practicing selfless Actions' (Nishkam Karma)? And all through I kept going deeper to understand the possibility of moving and progressing in two worlds while living the same one single life. Spiritual evolution for any soul is the singular charter for its manifestation on this physical plane; undoubtedly. But spiritual evolution does not happen by itself through any magic wand… on the contrary one has to traverse through countless adversarial experiences and confrontations that suck all within a human. Under such rioting and conflicting experiences for one life after another, how is it possible to float upon an uphill terrain devoid of any thrust machine or wings affixed at ones back?Read More26/09/2020What are the Deliverables of Upanishadic knowledge to my Life?A desire is the strongest lead for a human to dare and accomplish it's as an objective... And a desire at the same time is the greatest enemy of a human when its unmindful flights drain the most purposeful resource of human energies. Seeking to evolve and unravel the true self is a desire cauterized from all negativism, whereas seeking for possessiveness upon the lives of others is a desire stuffed with egoistic demeanor. The former seeking opens the doors of blissfulness whereas the former leads to narrow lanes of dark disharmony. The former brings freedom and potential, whereas the latter accrues to unbearable baggage and ailments.Read More26/09/2020आपसी संवाद के दो स्तर सबसे महत्वपूर्ण हैं।आपसी संवाद के दो स्तर सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। एक को तो हम भली प्रकार से पहचानते हैं अर्थात जो कानों को सुनाई देते हुए शब्द हैं पर दूसरे संवाद के स्तर के विषय में हम में से अधिकांश अनजान हैं। और यही संवाद का वह अनजाना और सूक्ष्म स्तर है जो की अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। शब्दों की बातचीत तो थोड़ी ही देर में हो कर समाप्त हो लेती है परन्तु सूक्ष्म स्तर पर हम सभी अपने विचारों में उस बातचीत का बोझ न केवल ढोते चले जाते हैं बल्कि उसे सोच सोच कर और अधिक बोझिल कर डालते हैं।Read More26/09/2020बेकार के विचारों को दिमाग किराये परशायद सच ही है की अधिकांश लोगों को यह ज्ञात ही नहीं होता की दिमाग में आने वाला प्रत्येक विचार -ख्याल ऊर्जा के खर्च से ही उत्पन्न होता है और ऊर्जा के लगातार खर्च से ही हमारे मस्तिष्क में चलता है। असली बात तो यह है की इस प्रकार की बातों को बहुत कम बताया जाता है और जब कोई मनस्वी बता भी रहा होता है तो हम उन बातों को कान ही नहीं देते।Read More26/09/2020तुम सोच भी नहीं पाओगे कि मन की एकाग्रता से उत्पन्न शक्ति क्या कुछ कर सकती है।अपने भीतर की शक्तियों से जन्मे चमत्कार वैसे तो हमारे आस पास भी होते ही रहते हैं, पर ऐसा सम्भव ही नहीं हो पाता की समझ भी पाएं की यह हुआ क्या है। यह वाक्य कोई पहेली नहीं है, यह वाक्य तुम्हारे आस पास अत्याधिक सफल लोगो के बारे में है जिन्हें तुम अपनी ही तरह मानते आए हो पर अचानक जीवन के सफर में बहुत आगे निकल गए। मुझे पता है की ऐसे लोगो की बात आते ही तुम कहने लगते हो "यार वो तो खास ही किस्मत लिखा के आया है भाई"... यह सच है की वह आगे निकल गए कुछ लोग तुमसे कोई ज्यादा अक्लमंद यां कहें की कुछ अलग ही भाग्य लेकर पैदा हुए हों। नहीं यह बात नहीं है, ज्योतिषयों ने तो धीरू भाई अम्बानी की कुंडली में भी कुछ विशेष नहीं देखा था।Read More26/09/2020विचारों में शक्ति भरनी पड़ती हैसफलता बहुत हद तक तुम्हारी मनःस्थिति पर भी निर्भर करती है। हाँ भाई हाँ यह सत्य है की योगयता, अवसर और साधनों के अभाव में अच्छी खासी योजनाएँ धरी की धरी रह जाती हैं। पर इससे भी बड़ा एक सत्य यह है की उपयुक्त मनःस्थिति के अभाव में योग्यता, अवसर और साधन भी बेकार सिद्ध हो जाते हैं। एक कदम आगे चल कर अगर अनुभव के आधार से कहें तो हमने बहुत सारे अत्यन्त सफलता प्राप्त लोग ऐसे देखें हैं जिनके स्वयं के पास न तो किसी उद्योग की विशेष जानकारी थी और न ही कोई अवसर उनके दरवाजे पर प्रतीक्षा में था - साथ ही उनके पास साधन एकत्रित करना भी एक बड़ी चुनौती थी। फिर भी वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए और महान बने।Read More26/09/2020अभाव, अज्ञान और अशक्ति में कभी किसी को खुश देखा हैकभी किसी को अभाव में खुश देखा है, कभी किसी को अशक्ति में प्रसन्न देखा है, और क्या कभी किसी को अज्ञानता में शान्त रहते हुए देखा है? नहीं देखा होगा।Read More